डोबरेनर का त्रियक (Dohereiner’s triads)

डोबरेनर का त्रियक (Dohereiner’s triads)

डोबरेनर का त्रियक (Dohereiner’s triads)

डोबरेनर का त्रियक (Dohereiner's triads)

बिहार बोर्ड इंटर/Matric परीक्षा 2022 के सभी विद्यार्थी के सभी विषय की सभी प्रकार के प्रश्न का प्रारूप और PDF वर्ग नोट विषयवार सभी प्रकार के study note ( MCQ , Short question long question ) Bharti Bhawan

Bihar Board Exam Multiple Choice Question

1. डोबरेनर का त्रियक (Dohereiner’s triads)
19वीं शताब्दी के प्रारंभ में जर्मन रसायनज्ञ जॉन डोबरेनर (Johann Dobereiner) ने रासायनिक दृष्टि से सदृश तत्त्वों को तीन-तीन के समूहों में वर्गीकृत किया। ये समूह त्रियक (triads) कहलाते हैं। इन्होंने त्रियक के नियम की घोषणा की जिसके अनुसार,
त्रियक के तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाने पर मध्यवर्ती तत्त्व का परमाणु द्रव्यमान किनारे वाले शेष दोनों तत्त्वों के परमाणु द्रव्यमानों का औसत होता है।

त्रियक की विशेषताएँ
(i) किसी त्रियक के तत्त्वों के गुणों में क्रमबद्धता पाई जाती है।
उदाहरण के लिए, उपर्युक्त तीनों त्रियकों के तत्त्वों की क्रियाशीलता निम्नलिखित क्रम में होती है
Ca < Sr < Ba
LI< Na <K
Cl > Br > I
(II) यह तत्त्वों के परमाण द्रव्यमान और उनके गुणों में एक प्रकार का संबंध स्थापित करता है। किंतु, त्रियक का सबसे बड़ा दोष यह है कि इसके अंतर्गत सभी तत्त्वों का

4. न्यूलैंड्स का अष्टक नियम (Newlands’ law of octaves) 1865-66 में अँगरेज रसायनज्ञ जॉन न्यूलैंड्स ने अपने समय तक आविष्कृत तत्त्वों को उनके परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाकर एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे न्यूलैंड्स का अष्टक नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार,
यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो किसी भी तत्त्व से प्रारंभ करने पर आठवें तत्त्व के गुण पहले तत्त्व के गुणों के समान होते हैं, जैसा कि संगीत का आठवाँ स्वर पहले स्वर के समान होता है।

अष्टक नियम के दोष Bihar Board Exam Multiple Choice Question

1. न्यूलैंड्स का अष्टक नियम हल्के तत्त्वों (कैल्सियम तक) के लिए ही लागू होता है, भारी तत्त्वों के लिए नहीं, क्योंकि कैल्सियम के बाद प्रत्येक आठवें तत्त्व के गुण प्रथम तत्त्व के गुण से भिन्न होते हैं। 2. न्यूलैंड्स का अनुमान था कि प्रकृति में सिर्फ 56 तत्त्व ही हैं और आगे चलकर अन्य तत्त्वों का आविष्कार नहीं होगा। किंतु, यह अनुमान गलत निकला। आगे चलकर अन्य बहुत-से नए तत्त्वों के आविष्कार हुए जिनके आचरण अष्टक नियम के प्रतिकूल थे। .
3. न्यूलैंड्स ने कुछ असदृश गुण वाले तत्त्वों को एक ही स्तर के अंतर्गत रखा। उदाहरण के लिए, कोबाल्ट और निकेल F और Cl के साथ रखे गए हैं, जबकि उनके गुणों में भिन्नता है। इसी प्रकार, Fe को Co और Ni से दूर रखा गया है, यद्यपि इनके गुणों में समानता है।
4. अक्रिय गैसों का आविष्कार हो जाने पर नवम तत्त्व प्रथम तत्त्व के समान गुण वाला होता है, न कि आठवाँ।
अतः, यह नियम अधिक प्रचलित न हो सका और आगे लकर इस नियम का परित्याग कर दिया गया। फिर भी, इतना निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि न्यूलैंड्स ने ही बताया तत्त्वों के गुण उनके परमाणु द्रव्यमान पर निर्भर करते हैं। इसके अतिरिक्त, न्यूलैंड्स ने ही बताया कि तत्त्वों के गुण आवर्ती (periodic) होते हैं।
5. मेंडलीव का आवर्त नियम (Mendeleev’s periodic law) , न्यूलैंड्स के अष्टक नियम से प्रेरित होकर 1869 में रूसी रसायनज्ञ दमित्री मेंडलीव (Dmitri Mendeleev) ने तत्त्वों के भौतिक और रासायनिक गुणों का गहन अध्ययन करके तत्त्वों के वर्गीकरण की एक नई प्रणाली विकसित की। तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाकर उन्होंने देखा कि
(i) तत्त्वों के गुणों में क्रमिक परिवर्तन होता है,
(ii) तत्त्वों की एक निश्चित संख्या के बाद लगभग समान गुणवाले तत्त्व पाए जाते हैं। .
अपने निष्कर्षों के आधार पर मेंडलीव ने एक नियम का प्रतिपादन किया जिसे मेंडलीव का आवर्त नियम कहते हैं। इस नियम के अनुसार, तत्त्वों के भौतिक व रासायनिक गुण उनके परमाणु द्रव्यमानों के आवर्तफलन होते हैं। दूसरे शब्दों में, यदि तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया जाए तो एक निश्चित संख्या के बाद समान गुणवाले तत्त्व पाए जाते हैं।

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