मेंडलीव की आवर्त सारणी के दोष

मेंडलीव की आवर्त सारणी के दोष

 

मेंडलीव की आवर्त सारणी में निम्नलिखित दोष हैं

  1. हाइड्रोजन का स्थान-आवर्त सारणी में हाइड्रोजन का स्थान अनिर्णित है। हाइड्रोजन के कुछ गुण क्षार-धातुओं के सदृश होने के कारण इसे वर्ग IA में क्षार-धातुओं (Li, Na, K आदि) के साथ

 

क्षार-धातुओं एवं हाइड्रोजन के गुणों में समानता

क्षार-धातुएँ

 

हाइड्रोजन

1.   क्षार-धातुएँ विद्युतधनात्मक होता है।

2.    ये अवकारक होती हैं।

3.   . NaF, Naci, NaBr, Nal प्रकार के हैलाइड बनाता

4.    ये Nao, KO आदि

 

हाइड्रोजन भी विद्युतधनात्मक होता है।

हाइड्रोजन भी अवकारण

HI, HCI. प्रकार के हैलाइड बनाता

हाइड्रोजन भी H,O बनाना

ऑक्साइड बनाती हैं।

 

सारणी 5.10

हैलोजन और हाइड्रोजन के गुणों में समानता हैलोजन

हैलोजन

हाइड्रोजन

1.   ये अधातु हैं।

2.   ये द्विपरमाणुक अणु बनाते हैं; यथा, F, CI, Br, I,

3.   ये गैस हैं।

4.   ये धातु के साथ संयोग करके – हैलाइड बनाते हैं; यथा Nar, NaCl, NaBr, Nal, MgCl2 आदि।

5. ये अधातुओं के हैलाइड बनाते हैं; CCl, PCl, PClg, आदि

 

हाइड्रोजन भी अधातु है।

हाइड्रोजन भी द्विपरमाण अणु (H) बनाता है।

हाइड्रोजन भी गैस है।

हाइड्रोजन भी धातु के साथ, संयोग करके हाइड्राइड बनाता है; यथा, NaH,

CaH2 आदि।

यह अधातुओं के साथ संयोग करके हाइड्राइड बनाता है आदि।; यथा, CHA,

NH3, PH, आदि।

__

  1. दुष्प्राप्य मृदा तत्त्वों का स्थान-दुष्प्राप्य मृदा तत्त्वों की दो श्रेणियाँ हैं जो लैंथेनाइड्स (lanthanides) और ऐक्टिनाइड्स (actinides) कहलाती हैं। (परमाणु संख्या 57 से लेकर 71 तक के तत्त्व लैंथेनाइड्स एवं परमाणु संख्या 90 से लेकर 103 तक के तत्त्व ऐक्टिनाइड्स कहलाते हैं।) लैंथेनाइड्स आवर्त सारणी क वर्ग IIIB के अंतर्गत आवर्त 6 के सदस्य हैं। यदि इन्हें इनके बढ़त हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में रखा जाए तो यह असंगत प्रताः होता है और संपूर्ण आवर्त सारणी की उपयोगिता समाप्त हो जाता है। इसीलिए इन्हें आवर्त सारणी के नीचे एक अलग कतार में रखा गया है।

इसी प्रकार, ऐक्टिनाइड्स को भी, जो आवर्त सारणी कर IIIB और आवर्त 7 के सदस्य हैं, आवर्त सारणी के नाच अलग कतार में रखा गया है।

 

  1. तत्त्वों का असंगत युग्म :- मेंडलीव की आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया गया है। किंतु, कुछ तत्त्वों के लिए इस पद्धति का पालन नहीं किया गया है।
  2. i) आर्गन (Ar) का परमाणु द्रव्यमान 40 और पोटैशियम (K) का परमाणु द्रव्यमान 39 होता है। किंतु आवर्त सारणी में आर्गन (वर्ग 0) को पोटैशियम (वर्ग I) के पहले स्थान दिया गया है।

(ii) कोबाल्ट (Co) और निकेल (Ni) के स्थान भी उचित क्रम में नहीं हैं। कोबाल्ट (परमाणु द्रव्यमान = 58.9) को निकेल (परमाणु द्रव्यमान = 58.6) के पहले रखा गया है।

(iii) टेल्यूरियम (परमाणु द्रव्यमान = 127.6) को आयोडीन (परमाणु द्रव्यमान = 126.9) के पहले रखा गया है।

(iv) थोरियम (परमाणु द्रव्यमान = 232.12) को प्रोटऐक्टिनियम (परमाणु द्रव्यमान = 231) के पहले स्थान दिया गया है।

  1. कुछ समान तत्त्वों को अलग-अलग एवं कुछ असमान तत्त्वों को एक-साथ रखा जाना

आवर्त सारणी में समान गुण वाले कुछ तत्त्वों को अलग-अलग रखा गया है। उदाहरण के लिए, कॉपर (Cu) एवं मरकरी (Hg) लगभग समान गुण वाले तत्त्व हैं, लेकिन आवर्त सारणी में ये दोनों अलग-अलग वर्गों में रख दिए गए हैं। सिल्वर (Ag) और थैलियम (TI) भी समान गुण वाले तत्त्व हैं, किंतु इन दोनों को आवर्त सारणी में अलग-अलग वर्गों में स्थान दिया गया है। यही स्थिति बेरियम (Ba) और लेड (Pb) के साथ भी है। __इसके विपरीत, असमान गुण वाले कुछ तत्त्वों को आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में स्थान दे दिया गया है।

उदाहरण के लिए, कॉपर (Cu), सिल्वर (Ag) और गोल्ड (Au)। इनके गुण क्षार-धातुओं के गुणों से काफी भिन्न होने के बावजूद इन्हें क्षार-धातुओं के साथ ही वर्ग I में रखा गया है। इसी प्रकार, मैंगनीज (Mn) को भी वर्ग VII के अंतर्गत हैलोजन तत्त्वों के साथ रखा गया है।

 

  1. समस्थानिकों का स्थान-आवर्त सारणी में समस्थानिकों (isotopes) के लिए कोई स्थान निश्चित नहीं है।
  2. आठवें वर्ग में तीन-तीन तत्त्वों को एक साथ रखा जाना-

आठवें वर्ग में तीन-तीन तत्त्वों को एक ही स्थान में रखा गया है; यथा

Fe Ru Os

Co Rh

Ni Pd

Ir Pt.

मेंडलीव की आवर्त सारणी की विसंगतियों का निवारण

परमाणु द्रव्यमान के स्थान पर परमाणु संख्या को तत्त्वों के वर्गीकरण का आधार मान लेने पर मेंडलीव की आवर्त सारणी की कई विसंगतियाँ स्वतः दूर हो जाती हैं।

  1. तत्वों के असंगत युग्म-मेंडलीव की आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु द्रव्यमानों के क्रम में सजाया गया है। किंतु सारणी में कुछ तत्त्वों के युग्म ऐसे हैं जिनमें अधिक परमाणु द्रव्यमान वाला तत्त्व कम परमाणु द्रव्यमान वाले तत्त्व से पहले के स्थान में रख दिया गया है। किंतु ऐसे तत्त्व बढ़ती हुई परमाणु संख्या के क्रम में हैं, जैसा कि निम्न सारणी से स्पष्ट हो जाता है।
  2. समस्थानिकों के स्थान—किसी तत्त्व के सभी समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होती है। अतः, इन्हें आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखा जाना उचित है।

इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्त्वों के वर्गीकरण की व्याख्या

आप पढ़ चुके हैं कि तत्त्वों के गुण उनके परमाणुओं के बाह्यतम शेल में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करते हैं। तत्त्वों को उनकी बढ़ती हुई परमाणु संख्या के क्रम में सजाने पर नियमित अंतरालों पर बाह्यतम शेल में समान इलेक्ट्रॉन वाले तत्त्वों की पुनरावृत्ति होती है। इस बात को स्पष्ट करने के लिए हम आवर्त सारणी के द्वितीय और तृतीय आवर्त के तत्त्वों पर विचार करें। इसे सारणी 5.13 में दिखाया गया है। ये सभी तत्त्व बढ़ती हुई परमाणु संख्या के क्रम में हैं। लिथियम (Li) की परमाणु संख्या 3 है और इसका इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2, 1 है। अतः, इसके बाह्यतम शेल में एक इलेक्ट्रॉन है। परमाणु संख्या बढ़ने पर बाह्यतम शेल में इलेक्ट्रॉनों की संख्या 1 (Li में) से बढ़कर 8 (Ne में) हो जाती है। जन परमाणु संख्या 11 (Na में) हो जाती है तब इलेक्ट्रॉनिक विन्यारा 2, 8, 1 हो जाता है। इस प्रकार, Li और Na दोनों के परमाण के बाह्यतम शेल में इलेक्ट्रॉन की संख्या 1 है। अतः, इन दोनों का बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान हैं; अर्थात, इलेक्ट्रॉनिक विन्यास की पुनरावृत्ति हई है। हमलोग जानते हैं कि Li और Na समान गुण वाले तत्त्व हैं। इससे निष्कर्ष निकलता है कि समान इलेक्ट्रॉनिक विन्यास वाले तत्त्वों के गुण समान होते हैं। दूसरे शब्दों में, तत्त्वों के गुणों की आवर्तता (periodicity) और उनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यासों की आवर्तता में सीधा संबंध है।

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