आधुनिक आवर्त सारणी (Morden Periodic Table)

आधुनिक आवर्त सारणी:-

आधुनिक आवर्त सारणी में तत्त्वों को उनकी बढ़ती हुई परमाणु संख्या के क्रम में सजाया गया है। 2. इसमें कुल सात आवर्त हैं जिनमें तत्त्वों की संख्या निम्नलिखित प्रकार से है

प्रथम आवर्त में H (1) और हीलियम 2 तत्त्व हैं।

द्वितीय आवर्त में Li (3) से लेकर Ne (10) तक 8 तत्त्व हैं।

तृतीय आवर्त में Na (11) से लेकर Ar (18) तक 8 तत्त्व हैं।

चतुर्थ आवर्त में K (19) से लेकर Kr (36) तक 18 तत्त्व हैं।

पंचम आवर्त में Rb (37) से लेकर Xe (54) तक 18 तत्त्व हैं।

षष्टम आवर्त में Cs (55) से लेकर Rn (86) तक 32 तत्त्व हैं।

सप्तम आवर्त Fr (87) से प्रारंभ होता है। इसमें अभी 25 तत्त्व हैं।

यह आवर्त अभी अपूर्ण है। द्वितीय और तृतीय आवर्त में प्रत्येक में 8 तत्त्व हैं। ये लघु आवर्त (short periods) कहलाते हैं। चतुर्थ एवं उसके बाद के सभी आवर्त दीर्घ आवर्त (long periods) हैं।

  1. आधुनिक आवर्त सारणी में लैंथेनाइड्स एवं ऐक्टिनाइड्स को छोड़कर 18 उदग्र स्तंभ है। ये 1, 2, 3, 4, …, 18 संख्याओं द्वारा व्यक्त किए गए हैं।
  2. इस आवर्त सारणी में मेंडलीव की आवर्त सारणी उपवर्ग A और B को अलग-अलग कर दिया गया है। वर्ग 1, 2 और 13-17 वाले तत्त्व सामान्य (normal) या प्रतिनिधि (representative) तत्त्व, वर्ग 3 से 12 तक के तत्त्व संक्रमण (transition) तत्त्व, वर्ग 1 के तत्त्व क्षार-धातुएँ (alkali metals), वर्ग 2 के तत्त्व क्षारीय मृदा धातुएँ (alkaline earth metals), वर्ग 17 के तत्त्व हैलोजन्स

 

(halogens) और वर्ग 18 के तत्त्व उत्कृष्ट गैस (noble gases) कहलाते हैं।

  1. इस आवर्त सारणी के नीचे दो कतारों में लैंथेनाइड्स और ऐक्टिनाइड्स हैं। ये वर्ग 3 के सदस्य हैं।

लैंथेनाइड्स : La (57), Ce (58) – Lu (71) ऐक्टिनाइड्स : Ac (89), Th (90)  Lr (103)

  1. इस सारणी में धातु और अधातु तत्त्वों को एक-दूसरे से पूर्णतः अलग-अलग कर दिया गया है। सीढ़ीनुमा लकीर (staircase line) के बायीं ओर वाले तत्त्व अधिकांशतः धातु हैं और दायीं ओर वाले तत्त्व अधातु हैं। इस लकीर से सटे दायीं ओर के तत्त्व उपधातु (metalloids) या अर्द्ध धातु (semimetals) हैं जिनके गुण धातु और अधातु के गुणों के मध्यवर्ती होते हैं।

 ये उपधातु हैं- बोरॉन, सिलिकन, जर्मेनियम, आर्सेनिक, ऐंटिमनी, टेल्यूरियम

और पोलोनियम। 7. इस आवर्त सारणी को चार ब्लॉकों (blocks) में बाँट दिया गया है। ये चार ब्लॉक हैं—s, p, d और f.

(i) s-ब्लॉक के तत्त्व-वर्ग 1 और 2 के तत्त्व s-ब्लॉक के तत्त्व कहलाते हैं।  

(ii) p-ब्लॉक के तत्त्व-वर्ग 13 से लेकर 18 तक वाले तत्त्व p-ब्लॉक के तत्त्व कहलाते हैं।

(iii) d-ब्लॉक के तत्त्व-वर्ग 3 से लेकर 12 तक वाले तत्त्व d-ब्लॉक के तत्त्व हैं।

(iv) f-ब्लॉक के तत्त्व-आवर्त सारणी के नीचे दो कतारों के लैंथेनाइड्स और ऐक्टिनाइड्स f-ब्लॉक के तत्त्व हैं।

  1. संश्लेषित या ट्रांसयूरेनिक तत्त्व-टेक्नेसियम, Tc,

परमाणु संख्या = 43 और प्रोमेथियम, Pm (परमाणु संख्या = 61) को छोड़कर यूरेनियम, U (परमाणु संख्या = 92) तक के सभी तत्त्व प्रकृति में उपलब्ध हैं। Tc और Pm रेडियोसक्रिय तत्त्वों के विखंडन से उत्पन्न होते हैं। यूरेनियम से आगे वाले तत्त्व प्रयोगशाला में संश्लेषित किए जाते हैं। इसीलिए इन्हें संश्लेषित या ट्रांसयूरेनिक तत्त्व (synthetic or transuranic elements) कहते हैं।

आवर्त सारणी की विशेषताएँ (Characteristics of Periodic Table)

वर्गों की विशेषताएँ आवर्त सारणी को देखने से पता चलता है कि

(i) किसी एक वर्ग के तत्त्वों के बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होने के कारण उनके गुण समान होते हैं।

(ii) किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्त्वों के गुणों में – क्रमिक परिवर्तन होता है। इसका कारण यह है कि परमाणु के नाभिक और उसके बाह्य संयोजी इलेक्ट्रॉनों के बीच

आकर्षण में क्रमिक रूप से परिवर्तित होता है। अब हम किसी वर्ग में तत्त्वों के गुणों पर विचार करें।

  1. इलेक्ट्रॉनिक विन्यास

किसी वर्ग-विशेष के सभी तत्त्वों के बाह्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं; अर्थात, सभी तत्त्वों के परमाणुओं में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। उदाहरण के लिए, वर्ग 1 के सभी तत्त्वों के परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉन की संख्या 1 होती है। इसी प्रकार, वर्ग 17 के सभी तत्त्वों के परमाणु में संयोजी इलेक्ट्रॉनों की संख्या 7 होती है।

  1. संयोजकता

किसी वर्ग के सभी तत्त्वों की संयोजकता समान होती है। किसी तत्त्व की संयोजकता उसके परमाणु के संयोजी शेल में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या द्वारा निर्धारित होती है। अतः, वर्ग 1 और 2 के तत्त्वों की संयोजकताएँ क्रमशः 1 और 2 होती हैं। 1 किसी तत्त्व के परमाणु का अन्य परमाणुओं के साथ संयोग

होने पर उस तत्त्व के परमाणु द्वारा त्यक्त या प्राप्त इलेक्ट्रॉन की -संख्या द्वारा भी उस तत्त्व की संयोजकता निर्धारित की जाती है। -उदाहरण के लिए, वर्ग 17 के तत्त्वों का प्रत्येक परमाणु संयोग करनेवाले अन्य

 

  1. समस्थानिकों के स्थान—किसी तत्त्व के सभी समस्थानिकों की परमाणु संख्या समान होती है। अतः, इन्हें आवर्त सारणी के एक ही वर्ग में रखा जाना उचित है। इलेक्ट्रॉनिक विन्यास के आधार पर तत्त्वों के वर्गीकरण की व्याख्या .. आप पढ़ चुके हैं कि तत्त्वों के गुण उनके परमाणुओं के बाह्यतम शेल में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या पर निर्भर करते हैं। तत्त्वों को उनकी बढ़ती हुई परमाणु संख्या के क्रम में सजाने पर नियमित अंतरालों पर बाह्यतम शेल में समान इलेक्ट्रॉन वाले तत्त्वों की पुनरावृत्ति

होती है। इस बात को स्पष्ट करने के लिए हम आवर्त सारणी के द्वितीय और तृतीय आवर्त के तत्त्वों पर विचार करें। इसे सारणी 5.13 में दिखाया गया है। ये सभी तत्त्व बढ़ती हुई परमाणु संख्या के क्रम में हैं।

  1. संयोजकता

किसी वर्ग के सभी तत्त्वों की संयोजकता समान होती है। किसी तत्त्व की संयोजकता उसके परमाणु के संयोजी शेल में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या द्वारा निर्धारित होती है। अतः, वर्ग 1 और 2 के तत्त्वों की संयोजकताएँ क्रमशः 1 और 2 होती हैं। 1 किसी तत्त्व के परमाणु का अन्य परमाणुओं के साथ संयोग

होने पर उस तत्त्व के परमाणु द्वारा त्यक्त या प्राप्त इलेक्ट्रॉन की -संख्या द्वारा भी उस तत्त्व की संयोजकता निर्धारित की जाती है। -उदाहरण के लिए, वर्ग 17 के तत्त्वों का प्रत्येक परमाणु संयोग करनेवाले अन्य परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन प्राप्त कर स्थायी इलेक्ट्रॉनिक विन्यास प्राप्त करता है। अतः, वर्ग 17 के तत्त्वों की संयोजकता 1 होती है। वर्ग 1 संयोजकता वर्ग 2 संयोजकता वर्ग 17 संयोजकता

  1. परमाणु का आकार या त्रिज्या

किसी परमाणु के बाह्यतम शेल और उसके नाभिक के केंद्र के बीच की दूरी को परमाणु त्रिज्या कहते हैं। किंतु परमाणु के बाह्यतम शेल का स्थान नियत नहीं है, अतः परमाणु त्रिज्या का ठीक-ठीक मान निर्धारित करना कठिन है। फिर भी, एक ही तत्त्व के किसी सहसंयोजक अणु में दो आसन्न परमाणुओं के केंद्र के बीच की दूरी के औसत को परमाणु का आकार या त्रिज्या कहते हैं। उदाहरण के लिए, क्लोरीन अणु के दोनों बंधित नाभिकों के बीच की दूरी 198 pm होती है। अतः क्लोरीन की सहसंयोजक त्रिज्या

.

आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर परमाणु का आकार बढ़ता जाता है, क्योंकि प्रत्येक तत्त्व के बाद वाले तत्त्व में इलेक्ट्रॉनों का एक नया शेल बनता है। इसे सारणी 5.15 में दिखाया गया है।

  1. आयनन ऊर्जा

किसी विलगित गैसीय परमाणु में सबसे कमजोर बल से बँधे इलेक्ट्रॉन को निष्कासित करने के लिए आवश्यक ऊर्जा आयनन ऊर्जा कहलाती है। इसे प्रथम आयनन ऊर्जा भी कहते हैं।

 एक ही इलेक्ट्रॉन नहीं, बल्कि पहले इलेक्ट्रॉन के निकल जाने के पश्चात दूसरे और तीसरे इलेक्ट्रॉन भी परमाणु से निष्कासित किए जा सकते हैं। इनके लिए आवश्यक ऊर्जाएँ क्रमशः द्वितीय और तृतीय आयनन ऊर्जा कहलाती हैं।

5.धातुई गुण

किसी वर्ग में ऊपर से निचे आने पर तत्त्व का धातुई गुण बढ़ने लगता है |

 

 

  1. विद्युतऋणात्मकता सहसंयोजक बंधन से जुड़े इलेक्ट्रॉन-युग्म को अपनी . आकर्षित करने की परमाणु की क्षमता को और विद्युतऋणात्मकता कहते हैं।

आवर्त सारणी के किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर ती की विद्यतऋणात्मकता क्रमशः घटती जाती है। उदाहरण के ” वर्ग 17 के हैलोजन तत्त्वों में फ्लुओरीन सबसे अ” विद्युतऋणात्मक होता है, जबकि आयोडीन सबसे की विद्युतऋणात्मक होता है।

  1. रासायनिक क्रियाशीलता ___

आवर्त सारणी के किसी वर्ग के सभी तत्त्वों के इलेक्टॉनिक विन्यास एक-जैसे होते हैं। अतः, उनके रासायनिक गुणों में भी समानता होती है। फिर भी, वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर तत्त्वों की रासायनिक क्रियाशीलता में नियमित क्रमबद्धता पाई जाती है। ..

 (i) वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर धातुओं की क्रियाशीलता बढ़ती है। उदाहरण के लिए, वर्ग 1 का लिथियम (LAN सबसे कम क्रियाशील है, जबकि फ्रांसियम (Fr) सबसे अधिक क्रियाशील होता है। क्षार-धातुओं और क्षारीय मृदा धातुओं की क्रियाशीलताओं का क्रम निम्नलिखित होता हैवर्ग 1 की क्षार-धातुएँ : Li<Na<K<Rb<Cs <Fr वर्ग 2 की क्षारीय मृदा धातुएँ :

Be<Mg <Ca<Sr<Ba<Ra

(ii) वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर अधातुओं की क्रियाशीलता घटती जाती है। उदाहरण के लिए, वर्ग 17 के हैलोजन तत्त्वों की क्रियाशीलता का क्रम निम्नलिखित होता है

F > Cl > Br > I

  1. भौतिक गुण

(i) किसी वर्ग में ऊपर से नीचे आने पर धातुई तत्त्वों के भौतिक गुण (द्रवणांक, क्वथनांक आदि) क्रमशः घटते जाते हैं, किंतु घनत्व में बढ़ने की प्रवृत्ति होती है। सारणी 5.17 वर्ग 1 में धातुओं के भौतिक गुण

 

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